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नीति का राज
बीती बात ; आज तो
नीति या राज
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खेल वक्त का
भाई हो या दुश्मन
रिश्ता रक्त का
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हाईकु विधा
भाव अभिव्यक्ति की
जापानी अदा
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देश बचाओ
भ्रष्टाचारी असुर
मार गिराओ
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दे दिया मत
अगले पांच साल
बोलना मत
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स्कूटर कार
ईंधन के दाम से
सब बेकार
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बाती का कर्म
जले तब पूरा हो
दीये का धर्म
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है अमावस्या
अंधेरी रात आज
बनी समस्या
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आचरण जो
संवारे जीवन के
व्याकरण को
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उपनयन
लुप्त होता धार्मिक
अलंकरण
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चाय की प्याली
दिन में दस बार
होती है खाली
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कलम लिखे
पढ़ने वाला पढ़े
भरम मिटे
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पा पढ़कर
आए अड़चन तो
ले लड़कर
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हाथ में लाठी
शांति के दूत गांधी
अहिंसावादी
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डर रग में
डग-मग करते
डग मग में
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सत्य की आंधी
अहिंसा के पुजारी
महात्मा गांधी
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बाबा व अण्णा
की गल-बहियों से
देश चौकन्ना
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इँदिरा गाँधी
पाकिस्तान को तोड़
दिशाएं बांधी
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न्यायालय में
न्याय होता है पर
मिलता नहीं
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बेगानी शादी
बेख़ुदी में नाचता
उत्सववादी
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आध्यात्मिकता
वेदों और पुराणों
की तात्विकता
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सफ़ल हुए
प्रतिस्पर्धा के भाव
दफ़न हुए
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चटपटी थी
बच्चों की बातें बड़ी
अटपटी थी
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कैसी घड़ी है
जहां भी देखते हैं
भीड़ बढ़ी है
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बिस्तर नहीं
सोने के लिए आज
नींद चाहिए
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प्यास बड़ी है
अमृत-निर्झर की
आस लगी है
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लक्ष्य भुलाया
माया मृगजल ने
खूब भगाया
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मेरा तर्क है
बात की अभिव्यक्ति
में ही फर्क है
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कैसे ये भद्र
अच्छाई की जिनको
नहीं है कद्र
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हर कष्ट की
जड़ में अपनी ही
भूल स्पष्ट थी
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प्रश्न का हल
मेहनत से पाया
कर्म का फल
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आस्था चित्र में
भूल गए मूल्य जो
थे चरित्र में
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यही है दोष
सब कुछ है पर
नहीं संतोष
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दुख नहीं है
क्या इस बात का
सुख नहीं है
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हमने जाना
जरूरतें सिखातीं
साथ निभाना
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लघु-उद्योग
सीमित साधनों से
धन का योग
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बड़े अभागे
कुटिल दुनियां में
नेक इरादे
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सीमित वर्षा
सूख गई फसलें
खेत तरसा
[ 'हाइकु' में मेरी रुचि जगाने का श्रेय डॅा.सागर खादीवाला को है | डॅा.सागर खादीवाला के अनुसार यह काव्य की एक जापानी शैली है |इसके उद् गम, विकास तथा शिल्प संबंधी पहलुओं का ब्यौरा बहुत विस्तृत है जिसे यहां पूर्ण रूपेण प्रस्तुत कर पाना संभव नहीं है | संक्षेप में कहा जा सकता है कि अत्यंत कम तथा निश्चित अक्षर संख्या की सुनिश्चित संरचना में किसी कथ्य, तथ्य, या विचार को व्यक्त करने की यह एक कलात्मक काव्य शैली है| जिसमें अत्यंत संक्षिप्त सी केवल तीन पंक्तियां होती हैं जिनमें कुल मिला कर सतरह अक्षर होते हैं | पहली और तीसरी पंक्ति में पांच-पांच और बीच की पंक्ति में सात अक्षर होते हैं | यह एक कठोर और अटूट नियम है | एक भी पंक्ति में एक भी अक्षर कम या अधिक होने पर उसे हाइकु नहीं कहा जा सकता | मात्राहीन अक्षर मात्रायुक्त अक्षर तथा अर्धाक्षर जुड़े अक्षर को भी एक अक्षर ही माना जाता है | कुल मिला कर कहा जा सकता है कि हाइकु की संरचना मात्रा आधारित न होकर अक्षर आधारित होती है | इसमें तुकांत की आवश्यकता नहीं है |
'हाइकु' एक चुनौती सा प्रतीत होने लगा अतः प्रयास किया और इस प्रयास का पहला नतीजा प्रस्तुत है | ]