सोमवार, 13 अगस्त 2012

36. वस्तुस्थिति



जो आप चाहें सो आप करें , यह स्वतंत्रता है


जो आप करें सो आप चाहें , यह प्रसन्नता है


इसीलिए नेता प्रसन्न हैं और जनता स्वतंत्र है


कुल मिला कर हम सभी इस देश में स्वच्छन्द हैं

सोमवार, 6 अगस्त 2012

35. जीवन की चर­भर



हार­जीत होती रहती है, जीवन की इस चर­भर में ,

कभी रोशनी कभी अंधेरा, होता रहता महफ़िल में ।

बाजी अभी नहीं हारी है, खेल अभी भी बाकी है ,

अपने पर भी रखें भरोसा, रहे आस्था ईश्वर में ॥



कष्ट सदा ही साथ चले थे , नज़र घुमा कर तो देखो ,

मगर हौसले बने रहे थे , खुशियां भी थी आंगन में ।

होनी खेल अनोखे खेले , शर्तें उसकी अपनी है ,

छूटे हों अधिकार भले ही , भूल न हो कर्तव्यों में ॥



नींद उचट जाती आंखों से , संवेदित जब होता मन ,

स्वप्न तिरोहित हो जाते हैं , अंधकार लगता जीवन ।

चिन्ताएं जो आज लग रही , घुल जाएगी सपनों में ,

कुछ तो अपने होते ही हैं , कुछ बन जाते हैं अपने ॥