शनिवार, 30 जनवरी 2010

22. उडा़न




मुझे बेदख़ल क्या करेगा ज़माना

मेरा आशियां तो खुला आसमां है


21. सारा आकाश


मन पंछी क॓ पंख दो, आस और विश्वास |

सीमा रहित उडा़न को, है सारा आकाश ||

सोमवार, 25 जनवरी 2010

20. कर्मठ-योद्धा

कर्म-क्षेत्र के कर्मठ योद्धा,
जब भी कोई लक्ष्य बनाते
स्पष्ट सोच और नीति-नियोजित,
सही समय पर कदम बढा़ते
नियति को भी देखा जाता,
उन मौकों का लाभ उठाते
जीवन के अनमोल क्षणों से,
स्वर्णिम हस्ताक्षर कर जाते

[मेरी कुछ रचनाऐं किसी विशेष व्यक्ति के लिए अथवा विशेष परिस्थिति-वश लिखी गई| उनमें निहित व्यापकता को देखते हुए उन्हें यहां समाविष्ट कर रहा हूं| समावेष करने के समय का संयोग व्यक्ति-विशेष से करना भी एक प्रकार की भावाभिव्यक्ति ही मानता हूं, जिसे महसूस कर कुछ लोग आनन्द का अनुभव अवश्य करेंगे]

शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

19. नव-वर्ष


उज्वल कल की करें कामना
बीते कल का ले आधार
आओ मिलकर नए वर्ष में
कर लें सब सपने साकार
कार्य-कुशलता मूल-मंत्र हो
आलस का होवे प्रतिकार
लगन और मेहनत से जुटकर
खुशहाली का खोलें द्वार

नव-वर्ष के अवसर पर इस सहस्त्राब्धि का पहला दिन याद आ जाता है जिसमें मुझे इतनी नवीनता दिखी कि उनके वर्णन का लोभ संवरण नहीं कर सका| निम्न पंक्तियाँ उन्हीं संयोगों कि ओर ध्यानाकर्षण का प्रयास है| केवल सन्दर्भ के लिए याद दिला दूं कि ०१.०१.०१ के दिन सोमवार था जो कि सप्ताह का पहला दिन माना जाता है|
१००० वर्षों बाद ३००१ में भी दिनांक तो ०१.०१.०१ ही लिखी जाएगी किन्तु वह दिन सप्ताह का सातवाँ दिन होगा, अर्थात उस दिन रविवार होगा| नीचे लिखी पंक्तियाँ का संयोग अब ७००० वर्षों बाद अर्थात ९००१ में ही पुनः संभव होगा| 

 नवल दिवस, दिन-अंक नवल,
यह वार नवल, सप्ताह नवल
इस नए वर्ष का माह नवल
और नए दशक का साल नवल
इक नई सदी का दशक नवल
और दशम-शती की सदी नवल
नव-युग का शुभ नव-द्वार बने,
यह दशम-शती त्यौहार नवल