‘राम-भक्त हनुमान’
'रोम-रोम' में राम पर, जिनको था अभिमान
हृदय राम-दरबार का, सबको मिला प्रमाण
उन्हीं राम के भक्त की, निष्ठा का कर ध्यान
लिखा नाम 'श्रीराम' का, छबि में थे हनुमान
राम-राम लिख चित्र पर, किया प्रयोग विचित्र
लोगों तक पहुंचा दिया, अनुपम राम चरित्र
परमेश्वर में आस्था, अंतर्मन विश्वास
लगन एक 'श्रीराम' में, जीवन हुआ सुवास
[ ईश्वर से तारतम्यता के सबके अपने-अपने तरीके हो सकते हैं | किसी अन्य के विचारों के अनुकरण का मार्ग कदाचित सहज जान पड़ता है क्योंकि अनुभव की कसौटी पर स्थापित होने का विश्वास उससे जुड़ा होता है |
अपने मन पर विश्वास, अपने निश्चय में द्ढ़ता, अपने स्वप्न साकार करने का संकल्प कुछ अनूठा मार्ग सुझा देता है जिस पर चलना ज्यादा रुचिकर व सहज लगने लगता है |
आस्था का ऐसा ही एक उदाहरण है रामभक्त हनुमान का यह अनुपम चित्र, जिसका अलंकरण 'राम-राम' की आवृति से किया गया है |
अब तक ऐसे सैंकड़ों चित्र बनाकर वितरित करना और भक्तिभाव प्रसारित करना भी एक प्रकार की साधना है | ऐसी आस्था के प्रति आकृष्ट होना स्वाभाविक ही है और मन में उठी प्रतिक्रिया को शब्दों में व्यक्त करने का लोभ संवरण न कर पाना शायद कलम की मजबूरी ]