पात्र देख कर दीजिए; द्रव्य-दक्षिणा-दान।
मन में पावन भाव हों; पास न हो अभिमान॥
पात्र पुत्र सा खोज कर; करें समर्पित द्रव्य।
गुण-क्षमता से हो भरा; सपने जिसके भव्य॥
जो खेतों को सींच दे; बढा़ सके व्यवसाय।
द्रव्य सौंप उस पुत्र को; हृदय सदा हरसाय॥
दिया दान तो क्या किया; किया नहीं अहसान।
मानवता के हवन में समिधा इसको जान॥
द्रव्यदान भी जब यहां चुका सके ना मोल।
धर पलडे़ पर दक्षिणा; लिया ग्यान को तौल॥
पात्र पुत्र सा खोज कर; करें समर्पित द्रव्य।
गुण-क्षमता से हो भरा; सपने जिसके भव्य॥
जो खेतों को सींच दे; बढा़ सके व्यवसाय।
द्रव्य सौंप उस पुत्र को; हृदय सदा हरसाय॥
दिया दान तो क्या किया; किया नहीं अहसान।
मानवता के हवन में समिधा इसको जान॥
द्रव्यदान भी जब यहां चुका सके ना मोल।
धर पलडे़ पर दक्षिणा; लिया ग्यान को तौल॥