हारजीत होती रहती है, जीवन की इस चरभर में ,
कभी रोशनी कभी अंधेरा, होता रहता महफ़िल में ।
बाजी अभी नहीं हारी है, खेल अभी भी बाकी है ,
अपने पर भी रखें भरोसा, रहे आस्था ईश्वर में ॥
कष्ट सदा ही साथ चले थे , नज़र घुमा कर तो देखो ,
मगर हौसले बने रहे थे , खुशियां भी थी आंगन में ।
होनी खेल अनोखे खेले , शर्तें उसकी अपनी है ,
छूटे हों अधिकार भले ही , भूल न हो कर्तव्यों में ॥
नींद उचट जाती आंखों से , संवेदित जब होता मन ,
स्वप्न तिरोहित हो जाते हैं , अंधकार लगता जीवन ।
चिन्ताएं जो आज लग रही , घुल जाएगी सपनों में ,
कुछ तो अपने होते ही हैं , कुछ बन जाते हैं अपने ॥
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