शुक्रवार, 16 अक्तूबर 2009

12. चुनौती



मन के तम तक पहुंच सकेगी, दीप तुम्हारी, जब रश्मि।

सीमित हो, पर साथ लिए हो, तृप्ति-सुधा-रस धन-लक्ष्मी॥

बस छोटी सी यही चुनौती, कर लेना स्वीकार कभी।

दीवाली त्यौहार बने, सच्चे अर्थों में पूर्ण तभी॥

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