क्या पाया सक्रिय होकर ?
न होते सक्रिय; न करते काम;
न होता नाम; न ही पहचान;
न होता राग; न होता द्वेश;
न होता मोह; न होता क्लेष;
न कोई जानता; न कोई मानता;
न होते पद; न होता मद;
न होते रगड़े; न होते झगड़े;
कितना अच्छा होता; गुमनाम सी जिन्दगी जीता;
कितनी सकारात्मक होती निश्क्रियता
शायद मानव जीवन ऐसी सकारात्मक निष्क्रियता को स्वीकार नहीं करता.
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