मंगलवार, 24 नवंबर 2009

16. कर्म-साधना

फंस के चक्रव्यूह में,शब्द के समूह में

भाव कुलबुला रहे,वक्त को बुला रहे

कभी तो वक्त आएगा,अनर्थ से बचाएगा

अर्थ-पूर्ण अर्थ को,न्याय तो दिलाएगा

तर्क अर्थघात कर,भाव पर प्रहार कर

स्वार्थ-सिद्धि कर रहा,चैन सबका हर रहा

खुद को तूं बुलंद कर,मुक्त कर स्वतंत्र कर

कर्म-साधना प्रखर,धर्म भावना मुखर

लक्ष्य वेधना मगर,हौसले सहेज कर

श्रम का हाथ थामना,पूर्ण होगी कामना

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