सोमवार, 25 जनवरी 2010

20. कर्मठ-योद्धा

कर्म-क्षेत्र के कर्मठ योद्धा,
जब भी कोई लक्ष्य बनाते
स्पष्ट सोच और नीति-नियोजित,
सही समय पर कदम बढा़ते
नियति को भी देखा जाता,
उन मौकों का लाभ उठाते
जीवन के अनमोल क्षणों से,
स्वर्णिम हस्ताक्षर कर जाते

[मेरी कुछ रचनाऐं किसी विशेष व्यक्ति के लिए अथवा विशेष परिस्थिति-वश लिखी गई| उनमें निहित व्यापकता को देखते हुए उन्हें यहां समाविष्ट कर रहा हूं| समावेष करने के समय का संयोग व्यक्ति-विशेष से करना भी एक प्रकार की भावाभिव्यक्ति ही मानता हूं, जिसे महसूस कर कुछ लोग आनन्द का अनुभव अवश्य करेंगे]

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