'घटना' को तो घटना ही था, जीवन घटनाओं का क्रम है।
कोई इसको सत्य मानता, कोई कहता केवल भ्रम है॥
जितने चिंतक उतनी बातें, अलग-अलग से दृष्टिकोण हैं।
एक कहे जीवन को मस्ती, कहे दूसरा चिंतन स्थल है॥
जैसे– जैसे उम्र बढ़ रही, जीवन घटता ही जाता है।
जीवन की इन घटनाओं का,
दिन घटने से क्या नाता है ?
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बड़े ही सहज भाव से आपने एक ऐसा सवाल किया है जिसका जवाब शायद उतना सहज नहीं.
जवाब देंहटाएंशायद अब आपको ही जवाब की ओर भी मार्गदर्शित करना पड़ेगा.
जवाब की तलाश में,
ब्रजमोहन