देखता हूँ जब भी तुझको, गौर से मैं जिन्दगी
सोचता हूँ क्या समझ पाऊँगा तुझको जिन्दगी
क्या कहूं मैं साँस के आवागमन को जिन्दगी
या भरा हो जोश तब मानूं मैं उसको जिन्दगी
जोश में हरदम रहे चैतन्य-रूपा जिन्दगीजो नशे में डोलती क्या ख़ाक है वो जिन्दगी
डरते-डरते जी रहे, किस काम की यह जिन्दगी
भय को जो भयभीत कर दे, है निडर वह जिन्दगी
जब से थामा हाथ मेरा, है तूं मेरी जिन्दगी
यह मेरा सम्बंध है; बंधन नहीं है जिन्दगी
आज मेरा है ईरादा; और वादा जिन्दगी।
जिन्दगी भर साथ ना छोडूंगा तेरा जिन्दगी॥
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