रविवार, 13 सितंबर 2009

3. मूर्तिकार

आवश्यक औजारों को हाथों में थामता है;

अनगढ़ शिलाओं को अनुभव से जाँचता है।

श्रम करता है, पसीना बहाता है;

समय की पूँजी उस पर लुटाता है।

वाँछित को रखता है; अवाँछित छाँटता है,

सफल हो जाए तो मूर्तिकार कहलाता है।

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