आवश्यक औजारों को हाथों में थामता है;
अनगढ़ शिलाओं को अनुभव से जाँचता है।
श्रम करता है, पसीना बहाता है;
समय की पूँजी उस पर लुटाता है।
वाँछित को रखता है; अवाँछित छाँटता है,
सफल हो जाए तो मूर्तिकार कहलाता है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें